आलू वेफर तो एक ही प्रकार की होती है किन्तु उसे बेचनेवाली कंपनी अलग अलग brand name के अंतर्गत उसे बेचती है और कई बार एक ही ब्रांड के अंतर्गत कंपनी अलग अलग प्रकार के flavor को add करके अलग अलग प्रकार के स्वादवाली वेफर बेचती है ,कभी टमाटर का स्वाद तो कभी चीज़ का स्वाद ,कभी तीखा स्वाद तो कभी केवल नमक का स्वाद … लेकिन बेचते तो आलू की वेफर ही है I
हम मनुष्यों का भी कुछ ऐसा ही है …We Are Potato People… हम भी आलू सरीखे ही है I हमे धर्म , कौम ,संप्रदाय, प्रांत, भाषा ,जाति जैसे अलग अलग ब्रांड के नाम पर एक दुसरे से अलग कर दिया है, फिर flavor का मसाला छिडक दिया जाता है Iकभी तिरस्कार का तो कभी द्वेष का ,कभी क्रोध का तो कभी भय का I
Product एक ही है “ मनुष्य “
आलू की अपनी कोई choice नहीं होती कि उस पर कौन सा मसाला चढ़ाया जाए ? या उसे कौन से स्वाद की वेफर बनना है ?किन्तु हम तो मनुष्य है I आलू के पास अभिव्यक्ति की शक्ति नहीं होती किन्तु हम तो विचारों को अभिव्यक्त कर सकते है तो फिर हम क्यों आलू की तरह व्यवहार कर रहे है …?
क्या हम vegetable है ? कभी कभी कोई व्यक्ति कोमा जैसी बेहोशी में होता है तब उसके लिए कठोर मन से ” vegetable ” शब्द का प्रयोग करते सुना है किन्तु हम तो सामान्य नार्मल है I
तो कोई जैसा चाहे वैसा हमें काट ले ? बाँट ले ? हमारी इंसान होने की गरिमा को छिलके के जैसे उतार के फेंक दें ? कोई भी flavor हम पर चढ़ा दिया जाए ? और हम आलू के जैसे निष्क्रिय बने रहेंगे ? …
यदि हम इंसान है तो हम अपने flavor को स्वयं ही तय करेंगे … इस पृथ्वी पर यदि हमें गरिमापूर्ण जीवन जीना है तो मानव जीवन के लिए कौन सा flavor उत्कृष्ट है ? उस पर कार्य करना होगा…
मानव जीवन की एक ही विश्वसनीय ब्रांड है “ मानवता “
यदि मान लिया जाए कि हम मानव product है तो केवल मानवता ही हमारी Trusted Brand है और इस ब्रांड की वेफर के विभिन्न flavors अपने आप में ही अनोखे है … जैसे प्रेम ,करुणा , विश्वास ,प्रमाणिकता,सहिष्णुता ,मुदिता I इन flavors को कभी ऊपर से छिडकना नहीं पड़ता यह flavors अपने आप ही स्वाद है I
मानव …मानव जीवन …मानव जीवन का मूल्य केंद्र स्थान पर रखना आवश्यक है
वसुधैव कुटुम्बक्म की भावना के साथ … मंगल कामना के साथ …
सबका साथ सबका विकास
सबका मंगल हो सबका कल्याण हो
(यह ब्लॉग लेखिका का अपना विचार मंथन है आप इस blog के concept के साथ सहमत हो ऐसा कोई आग्रह नहीं है – भाषा में या प्रस्तुति में कोई त्रुटी हो तो उदार मन से क्षमा करे )
Thought provoking writeup.
धन्यवाद