You are currently viewing 3-Valid Action Principle – The Principle of Strength

3-Valid Action Principle – The Principle of Strength

“Do not oppose a great force. Retreat until it weakens, then advance with resolution.” (The Principle of Well Timed Action)

“महाशक्ति के सामने विरोध न करें। थोड़ी देर विराम लेकर कुछ समयकाल के लिए पीछे हटें, फिर उचित समय आने पर पुनः द्रढ़ता से आगे बढ़ें।”

यहाँ महाशक्ति का अर्थ कोई एक व्यक्ति तक सिमित नहीं है किन्तु जीवन में उद्भव होती हुई स्थिति भी हो सकती है – यहाँ यह समजना भी आवश्यक है कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए “महाशक्ति” की व्याख्या भिन्न हो सकती है* – जो स्थिति किसी एक व्यक्ति के लिए महाशक्ति हो जो दुसरे व्यक्ति के लिए साधारण स्थिति हो सकती है*

ऐसा भी संभव है कि जीवन में बदलाव होते ही रहेते है तो कभी आज जो स्थिति महाशक्ति लगाती है कल वह एक साधारण स्थिति लगने लगे*

हम महाशक्ति का सामना कर रहे हैं यह कैसे पहचानेंगे ? और महाशक्ति का सामना कब करना है उस समय को कैसे पहेचानेंगे ?

सिद्धांत कहेता है कि छोटे प्रयोग, छोटे प्रयासों के द्वारा यदि हमें यह अनुभव होता है कि शक्ति कमजोर हो गई है या हो रही है , तो हमें सारी ऊर्जा के साथ इसका सामना करना होगा, जब तक हम इसे परास्त नहीं कर लेते।

समय को पहचानना कि कब पीछे हटना है और कब आगे बढ़ना है, उस स्थिति के लिए एक नाजुक समझ की आवश्यकता होती है। जब चुनौतियां सामने आती हैं जो हमारी क्षमता से परे होती हैं, तो समय के लिए एक कदम पीछे हटना, अपनी ऊर्जा संरक्षित करना बुद्धिमान होता है।

छोटे प्रयोग या प्रयास हमें यह अनुमान लगाने में मदद कर सकते हैं कि चुनौती के साथ पुनः संलग्न होने का सही समय कब है। एक बार जब हम अनुभव करते हैं कि परिस्थितियाँ हमारे पक्ष में बदल सकती हैं, तो हमें अपनी सभी ऊर्जा और निर्धार को संजोकर कार्य करने के लिए तैयार होना चाहिए।

मुख्य बात यह है कि हमें अनुकूल बने रहना है, स्थिति का निरंतर पुनर्मूल्यांकन करना, और अवसरों को पकड़ने के लिए तैयार रहना है।

यह सिद्धांत कहता है कि हमें छोटी परेशानियों के सामने पीछे हटने की आवश्यकता नहीं है। हम जानते हैं कि विकास की प्रक्रिया में संघर्षों को सतत पार करना ही पड़ता है । इसलिए जब उन छोटे बड़े अवरोधों और मुश्किलों के सामने पीछे नहीं हटना है , क्योंकि वे सभी अवरोध और परेशानियां तो हमारे विकास का भाग रूप है । हम सिर्फ उन शक्तियों के सामने पीछे हटते हैं जो हमसे कई अधिक गुना शक्तिशाली हैं।

कभी कभी कुछ स्थिति इतनी शक्तिशाली होती है कि सामान्य शक्ति उसे परस्त नहीं कर सकती उस समय थोड़ी देर विराम लेकर – यहाँ विराम शब्द का प्रयोग किया है विराम का अर्थ उस स्थिति में कुछ समयकाल के लिए रुकना या कुछ समय तक पीछे हटना और फिर उचित समय आने पर पुनः द्रढ़ता से आगे बढ़ें।

हमें यह जानना होगा कि महाशक्तियों को परास्त करने के लिए इन महाशक्तियों के   कमजोर स्थान कौन से हैं ?

हमारी ताकतों और कमजोरियों को समझने के साथ साथ – विश्लेषण और योजनाबद्ध निति की आवश्यकता है। । जबरदस्त शक्ति के के प्रयोग के बजाय, सामान्य विवेक और समझदारी का प्रयोग करना बहुत बार हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है।

जब हम किसी स्थिति में परिवर्तन को उत्पन्न करना चाहते हैं, तो केवल बल की बजाय, हम सोच सकते हैं कि कौन सा सही साधन है और कहाँ और कब इसका उपयोग करना चाहिए।

ध्यान में रखना है कि – अक्सर हमें किसी समस्या का सामना करते समय चिंतित हो जाते हैं और हम उसे एक बार में ही स्वयं की समग्र शक्ति बल के द्वारा हल करना चाहते हैं, भूल जाते हैं कि हर प्रक्रिया में कई कदमों की आवश्यकता होती है।

समय को पहचानना कि कब पीछे हटना है और कब आगे बढ़ना है, उस स्थिति के लिए एक नाजुक समझ की आवश्यकता होती है। जब चुनौतियां सामने आती हैं जो हमारी क्षमता से परे होती हैं, तो कुछ समय के लिए कुछ कदम पीछे हटना ही बुद्धिमानी है।

कुछ लोग समाज में प्रचलित रिति रिवाज़ को बदलना चाहते हैं और वे सार्वजनिक रूप से उस प्रणाली पर आक्षेप करते हैं जो गलत है। लेकिन समाज की प्रतिक्रिया मजबूत होती है और अंत में समाज उस परिवर्तन को नष्ट कर देता है। क्योंकि समाज एक महाशक्ति है (सामाजिक रिति रिवाज़– समाज के दूषण – समाज में होते हुए सामाजिक अन्याय / पुराने नियम )

इस परिवर्तन की प्रक्रिया को प्रवर्त करने के लिए बुद्धिमान तरीका यह होगा कि हम निरंतर दीर्घ समय तक इन बदलाव के विचारों को लोगों के बीच फैलाने का प्रयास करना होगा। एक बार जब हम उस बहुजन तक पहुंच जाते हैं और जो परिवर्तन आवश्यक है उस पर बहुजन की सहमती बन जाए , तब उसको हम निश्चय के साथ आगे बढ़ा सकते हैं।

हम रीति-रिवाज या गलत परंपराओं को महाशक्ति मान सकते हैं क्योंकि वे  समय के साथ मजबूत हो गए हैं। उन्हें रातोंरात बदलना असंभव है। इन जड़ रीति-रिवाजों को बदलने के लिए, हमें सबसे पहले जागरूकता लानी चाहिए, फिर हम धीरे-धीरे परिवर्तन ला सकते हैं।

– व्यक्तिगत स्तर पर परिवर्तन लाने का कार्य भी कुछ ऐसा ही है जैसे हमारी आदत में परिवर्तन लाना हो या हमारी प्रतिक्रिया देने की शैली में परिवर्तन लाना हो इत्यादि

जब हम अपने आप को, हमारी आदत और मान्यताओं को बदलना चाहते हैं, तो हम उसे एक दिन में ही बदलना चाहते हैं, किन्तु यह आदतें और मान्यताएं हमारे व्यक्तित्व की गहरी जड़ में है , जब हम इसके विरुद्ध अचानक जाने का निर्णय ले लेते है तो हमारा संघर्ष हमारे ही भीतर की गहरी जडें जो आदत और मान्यता के रूप में महाशक्ति है उसके साथ हो जाती है , जिस कारण हम उस परिवर्तन को लाने के लिए असफल रहेते है

तो अब क्या करे ? एक प्रभावी परिवर्तन को लाने के लिए पहले हमें अपने व्यक्तित्व को समजना और विश्लेषण करना चाहिए ताकि हमें पता चले कि कौन-सी आदत और मान्यता हमारे विकास में बाधक हैं। एक बार जब हम उनके विषय में जागरूक हो जाते हैं, तो हम दिन-प्रतिदिन के जीवन में धीरे-धीरे उस पर कार्य करते हुए परिवर्तन ला सकते हैं।

दरअसल हमें कई बार यह नहीं पता होता कि हमें किस परिस्थिति में क्या करना चाहिए, कभी-कभी हमें लगता है कि हमें आगे बढ़ना चाहिए, लेकिन कभी-कभी प्रतीक्षा करने की भी जरूरत होती है। इस तरह के संदेहों का सामना करना समान्य है।

अधिकतर महाशक्ति जिसका हमें मुकाबला करना पड़ता है वह हमारे भीतर जगत के साथ संलग्न होती है – व्यक्तिगत बाधाएं जो महाशक्ति का ही रूप है जिसका सामना करना सरल नहीं है – जैसे  क्रोध , मोह , लोभ , जिद्द,  अहंकार , तिरस्कार , भय और स्वार्थ –  कभी कभी हमारा क्रोध या मोह ही हमारे सामने आव्हान बन जाते है तो कभी कभी हमारा लोभ या जिद्द ही हमें चोट देते है कभी अहंकार और तिरस्कार महाशक्ति का भयानक रूप होते है तो कभी भय और स्वार्थ हमारे सामने चुनौती होते है – और हम उस समय एक चुनाव करते है – प्रतिक्रिया या प्रतिभाव – यही चुनाव हमारे जीवन में यह निर्णय लेता है कि कब पीछे हटने में कल्याण है या कब आगे बढ़ने में विकास है…

हरबार जब जीवन आपको उस स्थिति में डालता है जहां आप एक अधिक शक्तिशाली बल का सामना करते हैं जो आपको संभवित हानि पहुंचा सकता है, तो आपको पीछे हटकर स्वयं से पूछना चाहिए कि – यह क्यों हो रहा है। हम इस स्थिति और समस्या का सामना बार बार क्यों कर रहे है ? आपको अपने आप में विचार करना है और इस स्थिति को उत्पन्न करने वाले कारण को खोजना है , और जब आप कारण को खोज लेते हैं और स्वीकार करते हैं तो आप वही की वही प्रतिक्रिया नहीं दोहराने का निर्णय लेते हैं, तब शक्तिशाली बल कमजोर होगा, और आपको फिर से इससे सामना नहीं करना पड़ेगा।

Kalindi Mehta

कालिंदी महेता की योग यात्रा के प्रारंभ में – “मन की बातें

This Post Has 3 Comments

  1. Avani

    Bahut saralta ke sath samjaya he, apne …Kalindiben.
    Life ki bahut si alag alag paristhiti se kese hum apne aap ko sambhal pa sakte he or kese age badh sakte he.
    Samaj are apne ander ki manah sthiti se kese hame sambhalna he.
    Bahut hi sunder.

Leave a Reply