10th Principle of The Union
When you treat others as you want them to treat you, you liberate yourself.
अर्थात दूसरों के साथ वैसे ही व्यवहार करें जैसा व्यवहार आप चाहते हैं कि आपके साथ किया जाए
अब हम सोचेंगे कि दूसरों से ऐसा व्यवहार करे जैसा व्यवहार आप चाहते है कि दुसरे आपके साथ वैसा करे…हम क्या चाहते है कि दुसरे कैसा व्यवहार हमारे साथ करे ?
हमारे अपनों से क्या व्यवहार चाहिए ? वे हमारे प्रति कैसा व्यवहार करे?
हम नहीं चाहते कि कोई हमसे झूठ बोले, तो हमें हमेशा दूसरों से सच्चाई बोलनी होगी। यदि आप चाहते है कि लोग आपके प्रति सद्भावना से पेश आएं, तो पहले आपको सद्भावना से व्यवहार करना होगा । क्या आप चाहते है कि लोग आपके प्रति शुभेच्छा रखें? तो आपको दूसरों के प्रति शुभेच्छा से व्यवहार करना होगा।
लेकिन यह किसी प्रतिबद्धता और उसके अमलीकरण के बिना नहीं हो सकता, न ही केवल शब्द मात्र से हो सकता हैं। यह एक ठोस योजना के अनुसार होना चाहिए।
आपको उन सभी लोगों की सूची बनानी है जिन्हें आप अक्सर देखते हैं या मिलते है , और आपको उनमें छिपी सर्वोत्तम गुण और विशेषताओं को देखना है और फिर प्रतिबद्धता के साथ उन गुणों को और विशेषताओं को बाहर लाने की कोशिश करनी है।
यदि आपने इस सिद्धांत की शुरुआत में बताये गए अर्थ को तथ्यों के साथ समजा है तो अब तक आपने समर्पित तरीके से कार्य करना शुरू कर दिया होगा, उदाहरण के रूप में मैं अपने संतान के प्रति करुणा और सद्भाव से व्यवहार करूंगी । मैं अपने जीवन साथी के प्रति विचारशील तरीके से व्यवहार करूंगी; मैं मेरे मित्र की बात ध्यान से सुनूंगी इत्यादि।
यह आपके लिए दूसरों के साथ संबंधों के लिए दैनिक लक्ष्य निर्धारित करने का मामला है, जिसमें आपके पडोसी पौधे और पक्षी एवं अन्य जीवन भी शामिल हैं। फिर बस प्रतीक्षा करें। नियम को काम करने दें।
अब, इसे करने में क्या बाधाएँ हैं ? हम इस योजना को दूसरों के साथ हमारे संबंधों को सामंजस्यपूर्ण बनाने के लिए कैसे लागू कर सकते हैं? सरल शब्दों में कहें तो आपको अपनी सद्भावना को लागू करना होगा।
इस सद्भावना की प्रक्रिया को करना कैसे है ?
दिन में एक बार (सिर्फ 5 मिनट समर्पित करें) अपनी आँखें बंद करें , अपने मानस पर उस व्यक्ति की छवि प्रोजेक्ट करें जिसके साथ आप जुड़ना चाहते हैं, उस व्यक्ति की मानस पर कल्पना करे कि आप दोनों के संवादों में बातचीत में सामंजस्यता है । अपने मन में देखें कि अब अतीत की सभी समस्याएँ समाप्त हो गई हैं। उस व्यक्ति से हाथ मिलाएँ और उसे गले लगाएँ; अपने सामान्य व्यवहार को सामंजस्य और शांति में देखें, कि दोनों संतुलन में हैं।
केवल ५ मिनिट हर रोज़ यह करने से एक अद्भुत उर्जा प्रवाह खिलने लगेगा और आपके जीवन में वह सद्भाव सक्रीय कार्य करना शुरू कर देगा और उस सद्भाव की उर्जा दुसरे व्यक्ति तक अवश्य पहुंचेगी और आप रिश्ते में या किसी भी स्थिति में सामंजस्य स्थापित करना चाहते है वह फलित होने लगेगा।
सामंजस्य जैसे अद्भुत भाव को अपने जीवन में निर्माण करने के इस पथ पर आपका कल्याण हो …शुभ हो